Sanyukt Rashtra Sangh Ke Ang (संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग):

Sanyukt Rashtra Sangh Ke Ang (संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग):

संयुक्त राष्ट्र संघ जब अस्तित्व में आया तो उस वक्त एक चार्टर बनाया गया (जिसे घोषणापत्र पत्र भी कह सकते है.) जिसपे सभी राष्ट्रोंने हस्ताक्षर किये थे, उस चार्टर में संयुक्त राष्ट्र संघ को संचालित रखणे के लिये आवश्ययक सभी नियम और शर्ते लिखी गई थी, जिसके आधार पर संघ अपना कार्यभार और विश्व में शांती बनाये राखणे की रणनीती बनाता है. 

इस चार्टर में कुल १९ अध्याय और १११ अनुच्छेद हैं, अध्याय ३ के सातवे अनुच्छेद में संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगों का उल्लेख है. - 

संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंग/घटक, जिन्हें स्थापना के समय तय किया गया था.

१) संयुक्त राष्ट्र महासभा. (General Assembly)

२) सुरक्षा परिषद. (Security Council)

३) संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद. (Economical and Social Council)

४) संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद. (Trusteeship Council)

५) अंतरराष्ट्रीय न्यायालय. (international, Court of Justice)

६) संयुक्त राष्ट्र सचिवालय. (Secretariat)


१) संयुक्त राष्ट्र महासभा. (General Assembly) :
                                                                         महासभा का अधिवेशन हर साल कम से कम एक बार सितम्बर महिने में अवश्य होता है. इस महासभा में संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य राष्ट्रोंके प्रतिनिधी इस महासभा में उपस्थित रहते है. सदस्य राष्ट्र इस महासभा में अपने ज्यादा से ज्यादा पांच प्रतिनिधी भेज सकता है, लेकीन ऊन सभी का एक ही मत माना जाता है, क्युंकी वह सभी प्रतिनिधी एक ही राष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं.
इस महासभा में एक निर्वाचित अध्यक्ष और सात उपाध्यक्ष होते हैं. इस महासभा में किये जाने वाले प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं.
  • विश्व के नये राष्ट्रोंको संयुक्त राष्ट्र संघ में शामील करना.
  • संयुक्त राष्ट्र संघ को संचालित रखणे के लिये जो भी राशी (धन) आवश्यक है उसके लिये बाजट पास करना.
  • इसी के साथ सरक्षा परिषद के १० अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन करना, आर्थीक और सामाजिक परिषद के ५४ सदस्यों का निर्वाचन करना, न्यास परिषद के ६ एवं अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का सदस्यों का निर्वाचन करना.
  • विश्व में हो रही असमानता जैसे कि वर्ण, जाति, रंग, भाषा, आदी, तऱह के भेदभाव किये बिना मौलिक अधिकार एवं  स्वतंत्रता दिलाने में सहायता करना.
  • सुरक्षा परिषद के सिफारिश पर महासचिव का निर्वाचन करना.
  • अगर नये नियम बनाने की आवश्यकता होगी तो अंतरराष्ट्रीय नियमों का निर्माण करना.
  • सभापती का निर्वाचन करना.

२) सुरक्षा परिषद. (Security Council) : 

यह एक सबसे महत्वपूर्ण अंग है, इसमे कुल १५ सदस्य हैं, जीनमे १० अस्थायी सदस्य और ५ स्थायी सदस्य है. अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल २ सालों का होता है, जिन्हें हर दो साल बाद चुनाव की प्रक्रिया से चुना जाता है, और स्थायी सदस्य राष्ट्रोंमें अमेरिका, रुस, ब्रिटेन,फ्रांस और चीन हैं. सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य को एक मत देणे का अधिकार है. इसिके साथ स्थायी सदस्य को विटो का अधिकार है, इस अधिकार का प्रयोग कर के ५ स्थायी सदस्योंमेसे कोई भी स्थायी सदस्य परिषद के निर्णय के खिलाफ मत कर के उसे रद्द कर सकता है. अगर कोई बडा मसला या वाद-विवाद होता है तो उसे पांच स्थायी और चार अस्थायी सदस्यों कि सहमती से अंतिम निर्णय लिया जाता है.

सुरक्षा परिषद के कुछ प्रमुख कार्य नीचे दिये गये है:
  • विश्व में शांती एवं सुरक्षा को बनाये रखना सुरक्षा परिषद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है.
  • सुरक्षा परिषद अलग-अलग राष्ट्रों के संरक्षण में रखे जाणे वाले प्रदेशों पर नियंत्रण रखती है.
  • विश्व में जो भी अंतरराष्ट्रीय संघर्ष, युद्धजन्य परिस्थिती, आपत्काल, या किसी आपत्ती के समय सुरक्षा परिषद सैनिकी कार्यवाही करणे के आदेश दे सकती है.
  • सुरक्षा परिषद किसी देश एवं संगठन के खिलाफ निःशस्त्रीकरण के लिये प्रस्ताव पारित कर सकती है. (जिसका मुख्य उद्देश ज्यादा खतरनाक या हानिकारक हतीयारोंको नष्ट या कम करणा आदी.)
  • विश्व के नये राष्ट्रोंको संयुक्त राष्ट्र संघ कि सदस्यता प्रदान करना.
  • महासचिव कि नियुक्ती के लिये सिफारिश करना.
  • सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ के सैनिकी कार्यवाही या उनके सहायता से युद्ध विराम करवाती है.
३) संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद. (Economical and Social Council)

संयुक्त राष्ट्र के इस परिषद का मुख्य हेतू पिछडे हुये राष्ट्रोंको आर्थिक एवं सामाजिक प्रगती के लिये मदत करना, इसी के साथ आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक,शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य संबंधित कार्य करती है. इस परिषद में महासभा द्वारा निर्वाचित किये गये कुल ५४ सदस्य होते है, जिनका कार्यकाल ३ वर्ष होता है. मानव कल्याण के हित में नयी योजनांये लाने का प्रस्ताव राखती है.


४) संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद. (Trusteeship Council)

                                              प्रथम विश्व युद्ध खात्म होणे के बाद कुछ क्षेत्रों का नियंत्रण एक देश से दुसरे देश देश को स्थानांतरीत करणे का एक कानुनी उपकरण था जिसमे राष्ट्र संघ कि ओर से क्षेत्र को प्रशासित करणे के लिये अंतरराष्ट्रीय रूप से सहमत शर्ते शामील थी. सन १९९४ तक सभी न्यास क्षेत्रों ने स्व-शासन / सरकार या स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी, जिसके बाद १ नवंबर १९९४ में न्संयास परिषद का संचालन बंद कर दिया. न्यास परिषद. में १२ सदस्य है, जीनमे चार प्रबंधनकर्ता देश (ऑस्ट्रेलिया, नुझीलंड, अमेरिका और ब्रिटन) है, और तीन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य (रुस, चीन और फ्रांस) इसी के साथ पांच निर्वाचित सदस्य है.

५) अंतरराष्ट्रीय न्यायालय. (international, Court of Justice)

संयुक्त राष्ट्र संघ का यह एक महत्वपूर्ण अंग है, इसकी स्थापना जून १९४५ में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के द्वारा कि गई, इसका कार्य संचालन अप्रैल १९४६ से चालू हुआ था. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुल १५ न्यायाधीश है, जीनाकी नियुक्ती महासभा सुरक्षा परिषद कि सिफारिश पर कि जाती है.इन सभी न्यायाधीशों का कार्यकाल ९ सालों का होता है. न्यायालय कि सभी कार्यप्रणाली फ्रेंच और अंग्रेजी भाषा में की जाती है. इस न्यायालय का मुख्य कार्य देशों के बीच में निर्माण होणे वाले वाद-विवादो को सुलझाना एवं अपनी राय साझा करना है.

६) संयुक्त राष्ट्र सचिवालय. (Secretariat)

यह संघ का एक प्रशासनिक अंग है, जिसके मुख्य अधिकारी को महासचिव कहते है. इनका कार्यकाल ५ वर्ष होता है, इनकी सहायता के लिये अलग अलग देशोंके हजारो कर्मचारी होते है.
  • सचिवालय का मुख्यालय न्युयोर्क में है.
  • सचिवालय का हर एक खर्च सभी देश मिलकर करते है.
  • सचिवालय में आठ विभाग है.
  • प्रत्येक विभाग का अधिकारी सहायक सचिव होता है.
  • सचिवालय सभी कार्यों को लिखित रूप में संग्रह करता है.
  • महासचिव कि नियुक्ती सुरक्षा परिषद कि सिफारिश पर महासभा करती है.
  • महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों की रिपोर्ट तैयार कर के हर साल महासभा में प्रस्तुत करता है.

निष्कर्ष :- 
संयुक्त राष्ट्र संघ को संचालित राखणे के लिये उपरोक्त दिये गये सभी अंग अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिन्हें संघ के स्थापना के समय बनाया गया था, जिसमे सुधार लाना बहुत जरुरी है. महासभा में सभी १९३ देशोंके द्वारा पारित प्रस्ताव भी सुरक्षा परिषद के  स्थायी सदस्यों कि सहमती पर निर्भर है.




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