हमारी प्यारी धरती के लिये दो खतरे सबसे ज्यादा है एक तो हम इंसान है जो धीरे धीरे इसे खत्म करणे की ओर चल रहे है, और दुसरा खतरा अंतरीक्ष में घूम रहे एस्टेरॉयड है जो कभी भी हमारे इस धरती को खत्म कर सकते है, जैसे एक बार डायनासोर को खत्म कर दिया था वैसेही अगर एक फुटबॉल के आकार का एस्टेरॉयड हमारी धरती से टकरा जाये तो इंसानोका इस धरती से नमो-निशाण मीट जायेगा. जैसे की हम सोचते और देखते है की अंतरीक्ष एकदम शांत और सुंदर है लेकीन सच्चाई बिलकुल इसके विपरीत है.
हमे शांत और सुंदर दिखाई देणे वाले अंतरीक्ष में लाखो पत्थर के टुकडे है जो घुमते राहते है! जिन्हें हम एस्टेरॉयड या उल्कापिंड कहते है! यह उल्कापिंड हमारी धरती की तरफ चले आते है लेकीन उनका आकार छोटा होणे के कारण और धरती के वायुमंडल में घुसते ही उसके घर्षण से पृथ्वी तक पोहोंचने से पहले ही जल जाते है! लेकीन कूछ उल्कापिंड बडे आकार के होते है जो पृथ्वी के सतह तक पोहोंच गये और टकरा गये तो उससे बोहोत ज्यादा ताबाही मच सकती है, और ऐसा ही एक उल्कापिंड या उसे खतरा भी कहा सकते हो जो हमारी धरती के पास से गुजरा है. इस उल्कापिंड का आकार एक स्टेडीयम के आकार जितना था.
चिंता कि बात :
इस उल्कापिंड को नासा की शक्तिशाली रडार सिस्टम ने खोज लिया है! इस एस्टेरॉयड को 2008 OS7 नाम से जाणा जाता है, जिसे 2 फरवरी को धरती से 29 लाख किमी की दुरी से गुजरते देखा गया, जिसकी दुरी धरती और चंद्रमा की दुरी से लगभग 7.5 गुण ज्यादा है! इस उल्कापिंड से हमारी धरती और हमारी सभ्यता को कोई खतरा तो नही था लेकीन यह उल्कापिंड धरती के काफी करीब से गुजरा है यह बात चिंता की है.
इस उल्कापिंड की तस्वीर बनाने के लिये नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) ने गोल्डस्टोन सोलर सिस्टीम रडार का इस्तेमाल किया है. यह उल्कापिंड 2008 OS7 हर 2.6 साल में सूर्य की परिक्रमा पुरी करता है, और यह सूर्य के सबसे निकट शुक्र की कक्षा के भीतर से गुजरता है और सबसे दूर मंगल की कक्षा से बाहर निकलता है!
अगले 200 साल तक नहीं आयेगा धरती के करीब :
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के बयान के मुताबिक यह उल्कापिंड आकार में बडा होणे के कारण और धरती के करीब से गुजराने के कारण इसे संभावित रूप से खतरनाक श्रेणी में रखा गया है. लेकीन अब यह लगभग अगले 200 साल तक धरती के करीब नही आयेगा! इस उल्कापिंड को 2008 में पहली बार देखा गया था, तब अनुमान यह लगाय गया था की इसका आकार 200 से 500 मीटर चौडा होगा लेकीन अब नये जानकारी के मुताबिक इसका सही आकार नासा को प्राप्त हुवा है.
उल्कापिंड का आकार :
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के २ फरवरी के प्राप्त आकडोंके अनुसार इसका आकार काफी छोटा है जो १५० से 200 मीटर तक है. नई जानकारी के नुसार यह उल्कापिंड असामान्य रूप से और धीमी गती से घुमता है जो हर २९.५ घंटे में यह खुदका एक रोटेशन पुरा करता है.
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उल्कापिंड टकरती संभावित फोटो |